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जन्माष्टमी पर एक रुबाइ

राधा की झलक, कृष्ण की बरजोरियां भी काम की। है वही एक गुलबदन, गुलपोश भी, गुलफ़ाम भी।। है वह क़ाफ़िर जो क़ायल नहीं इस लाम की, लाम की मानिन्द हैं ज़ुल्फ़ें मेरे घनश्याम की।।

©वी. पी. सिंह

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2 Comments

Abhinav ji

04-Sep-2023 07:16 AM

Very nice

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Virendra Pratap Singh

07-Sep-2023 10:38 AM

Thank you🙏

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